भारतीय वायुसेना का सबसे दमदार और विवादित फाइटर जेट MiG-21 को पूरी तरह से हटाने में देरी हो सकती है. इसके पीछे की वजह है Tejas-Mk1A फाइटर जेट के उत्पादन में देरी. एक समय था मिग-21 फाइटर जेट ने 1971 की जंग में पाकिस्तान को धूल चटाई थी. लेकिन अपने 60 के कैरियर में इस फाइटर जेट के 400 क्रैश हुए.
इसकी वजह से 200 एयरफोर्स फाइटर्स की जान गई. करीब 60 आम नागरिक मारे गए. इसलिए इसे ‘द फ्लाइंग कॉफिन’ कहा जाने लगा. वायुसेना और सरकार इस कोल्ड वॉर काल के फाइटर जेट को हटाना चाहती है. इसकी जगह तेजस-एमके1ए फाइटर जेट्स की फ्लीट तैयार होनी है. लेकिन ये उत्पादन में देरी हो रही है.
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इसलिए दिसंबर 2025 में मिग-21 की फ्लीट को पूरी तरह से हटा पाना संभव नहीं लग रहा है. वायुसेना इस साल बीकानेर के नाल एयरबेस पर तेजस-एमके1ए फाइटर जेट का पहला स्क्वॉड्रन बनाना चाहती थी. यहीं पर मिग-21 बाइसन फाइटर जेट का स्क्वॉड्रन है. लेकिन तेजस के इंजन की सप्लाई नहीं होने से मिग-21 को वायुसेना से हटाने में देरी हो रही है.
जानिए मिग-21 फाइटर जेट के बारे में…
कोल्ड वॉर के जमाने का फाइटर जेट है MiG-21. The Flying Coffin के नाम से कुख्यात इस फाइटर जेट ने 1971 की जंग में पाकिस्तान को धूल जरूर चटाई. लेकिन… अपने 60 साल की हवाई ड्यूटी में इसने 200 पायलटों और 60 आम नागरिकों की जान ले ली. तकनीकी वजहों से क्रैश हो जाता था.
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इतना ही नहीं इसे Widow Maker भी कहते हैं. भारत के पास 1966 से 1984 के बीच 840 MiG-21 फाइटर जेट थे. लेकिन आधे क्रैश हो गए. हाल-फिलहाल में भी हादसे हुए हैं. साल 2010 के बाद से 20 से ज्यादा मिग-21 क्रैश हो चुके हैं. अब सिर्फ दो स्क्वॉड्रन बचे हैं. दोनों में 31 फाइटर जेट्स बचे हैं.
विंग कमांडर वर्धमान ने इसी से उड़ाया था PAK फाइटर जेट
विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने इसी विमान से PAK के F-16 फाइटर जेट को मार गिराया था. ये विमान लगातार अपडेट होता रहा है. इसे सिर्फ एक पायलट उड़ाता है. 48.3 फीट लंबे विमान की ऊंचाई 13.5 फीट है. अधिकतम 2175 KM प्रतिघंटा की गति से उड़ता है. अधिकतम रेंज 660 KM है. यह अधिकतम 57,400 फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. इतनी ऊंचाई पर यह 8.30 मिनट में पहुंचता है.
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इसमें 23 मिलिमीटर की 200 राउंड प्रति मिनट फायर करने वाली गन लगी होती है. इसके अलावा पांच हार्ड प्वाइंट्स होते हैं. इसमें चार रॉकेट्स लगाते जा सकते हैं. साथ में हवा से हवा में मार करने वाले तीन प्रकार की मिसाइलें तैनात की जा सकती हैं.
इसके अलावा 500 किलोग्राम के दो बम लगा जा सकते हैं. फिलहाल इसकी जगह वायुसेना तेजस फाइटर जेट को शामिल कर रही है. MiG-21 की पहली उड़ान 16 जून 1955 में सोवियत संघ में हुई थी. चार महाद्वीपों के करीब 60 देश इसका इस्तेमाल करते आए हैं.